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सोमवार, 20 जनवरी 2025

सिंधु घाटी सभ्यता (INDUS VALLEY CIVILIZATION)

         सिंधु घाटी सभ्यता https://www.profitablecpmrate.com/rx1js66n?key=b030b265d79f65489bab7d07104c80f5

  पृष्ठभूमि style="color: #ff00fe; font-weight: normal;">:                                                                     

काल -  2350 से 1750 ईसा पूर्व।                                                   

सभ्यता  -  कांस्ययुगीन, नगरीय, मातृ सत्तात्मक 

लिपि   -  बोस्ट्रोफिदन/भाव चत्रात्मक

व्यवसाय -  कृषि, पशुपालन,                                          

 
                     

            

                सेंधव समाज



  सामाजिक विशेषताएं :

  1. एकल परिवार 
  2. मातृसत्तात्मक समाज
  3. लोग शाकाहारी, मांसाहारी 
  4. मनोरंजन के साधन = संगीत, नृत्य, चौपड़ पासा, पशुओं की लड़ाई, शिकार
  5. सैंधव लोग युद्ध प्रिय कम शांति प्रिय ज्यादा थे।
  6. समाज में पर्दा प्रथा तथा वेश्यावृत्ति प्रचलित नहीं थी।






                  

                       धार्मिक जीवन 

  1. मातृ पुजा, लिंग पुजा, प्रकृति पूजा, कुबड़ वाला सांड 
  2. कर्मकांड - मूर्ति पूजा, बलि प्रथा, जादू टोना 
  3. स्वास्तिक चिन्ह (सूर्य पूजा का प्रतीक) हड़प्पा सभ्यता की देन है।
    NOTE - सिन्धु घाटी सभ्यता में गौ पुजन व मंदिर के                           प्रमाण नहीं मिलते हैं। 

         

                     आर्थिक जीवन 

  1. मुख्य व्यवसाय - कृषि ,पशुपालन, व्यापार 
  2. परिवहन के साधन - बैलगाड़ी 
  3. मापतोल - 16 के अनुपात में 
  4. व्यापारिक संबध - मेसोपोटामिया, ओमान, ईरान, बहरीन द्वीप( दीलमून)
  5. सिंधु घाटी सभ्यता में कपास का उत्पादन होने के कारण इसे यूनानी लोग सिंडन तथा मेसोपोटामिया के लोग मेंलुहा (नाविकों का देश) कहते थें।
  6. व्यापार वाणिज्य - सोना (मैंसुर कर्नाटक) , तांबा (खेतड़ी राजस्थान), कीमती पत्थर (गुजरात) लाजवर्द मनके (शुर्तगोई अफगानिस्तान), सेलखड़ी (दक्षिण राजस्थान), टिन, चांदी (ईरान अफगान) 



                          नगर नियोजन 

  1  स्थापत्य 
       
  A.   नगरीय बसावट
                                                                                        1   सेंधव नगरो की मुख्य विशेषता सुनियोजित नगर     
           
      प्रणाली है।

            
  2   यहां नगर अधिकांश दो स्तरों पर बने थे, पहले                      

   ऊपरी चबूतरे पर। दुर्गीय भाग तथा दूसरा समतल                

   भवन 
        
   3 ऊपरी भाग पर शासक वर्ग तथा नीचे समतल भाग              

      पर जन  सामान्य लोग रहते थे
          
   4  सिंधु नगर मुख्यतः ग्रीड/ ऑक्सफोर्ड पद्धति पर बसे हुए                 

         थे।





B.   सड़के 

    सड़के पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण की ओर    समकोण पर                  
   काटती थी।
   
 सामान्यतः सड़कों की चौड़ाई 9 से 34 फीट तथा गलियां एक से दो             
मीटर चौड़ी होती थी। 

     
 घरों के दरवाजे मुख्य सड़क पर न खुलकर गलियों में खुलते थे।                 

लेकिन लोथल नगर में घरों के दरवाजे मुख्य सड़कों पर खुलते थे।


C   स्वच्छता या जल निकासी 

    यहां के लोग घरों से जल निकासी हेतु नालिया             बनाते थे।                           
  अधिकांश नालिया कच्ची एवं पक्की इंटो से बनी        होती थी।

    धोलावेरा से 16  छोटे बड़े जलाशय मिले हैं,
     
   यहां नालियों में मेंन होल (तरमोखे) तथा चेंबर             (शोर्षगत) मिले हैं।

   बनावली ( हरियाणा) में नाली पद्धति का अभाव था,                                  
  तथा कालीबंगा से लकड़ी की नालियां मिली है।

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